मेरा यह वर्तमान जीवन मेरे बाबा का आशीर्वाद है।
आह ! द्वंद्वों से युक्त फिर भी कितना संतोषपूर्ण जीवन है। सब है यहाँ। दुःख-सुख, मान-अपमान, बदनामी-यश, प्रेम-विश्वास,पुस्तकें, खेल,राजनीति, बहस,सेहत,संगीत।
एक बेतरतीब बेवकूफी तो अबूझ उदासी फिर भी एक मस्तमौलापन। पाताललोक तक पहुंचा देने वाले बैचेनियों के साथ आकाश छूता आत्मविश्वास भी।तमाम निराशाओं के बाद भी एक सकारात्मक दृष्टिकोण। यह भी मालूम है कि मेरे हाथ में बहुत कुछ नहीं हैं फिर भी कर्मशील बने रहने को सदैव तत्पर,मज़बूत इच्छाशक्ति भी, व्यक्तित्व की स्मार्टनेस भी। भौतिक चाहना के साथ आध्यात्म भी!सब तो है।
क्यों है? क्योंकि यह जीवन मेरे बाबा का आशीर्वाद है।
मैं इस मामले में सौभाग्यशाली हूं कि अपने जीवन को अपनी सोच के अनुरूप ढालने के प्रयास में सफल हूँ । और जो कुछ रह गया है,वह भी शीघ्र होगा। जो देरी है, वह मेरी कमी है।किंतु मैं उन तमाम सेनाओं के विरुद्ध जिन्होंने मेरी आत्मा के उजले पक्ष पर घेरा डाला है,मैं उन सबसे जीत जाऊंगी एक दिन।
क्यों? क्योंकि मेरे बाबा के लिए मैं स्पेशल हूँ। वे मुझे कभी हारने नहीं देंगे।
मेरे पास दूसरे को देने के लिए अथाह प्रेम और विश्वास है क्योंकि जब-जब मैंने प्रेम में धोखा खाया या मेरे विश्वास को तोडा किसी ने , मैं कभी अवसाद में नहीं गई और न कुंठित हुई। बल्कि और मजबूत बनी कि मुझ तक पहुंचने वाले हर व्यक्ति को बिना शर्त प्यार और विश्वास मिले। खूब मिले।
मैं कभी ईश्यालू नहीं बनी यह देखकर कि मेरे साथ वाले मेरे आगे बढ़ गए या उनके पास वह सब कुछ है जिसे मुझे अभी पाना है। मैं प्रत्येक स्थिति में केन्द्रित हूं कि मुझे कहां और कैसे पहुंचना है। मैं छोड़कर जाऊँगी अपने आत्मीयों के लिए ऐसी ज़मीन जिसपर वे बनाएँगे नए सपनों का यथार्थ महल।और जब कभी मैं केवल तस्वीरों में कैद होकर रह जाऊंगी तो मेरी तस्वीरें देखकर ही मेरे आत्मीय भर उठेंगे असीम आत्मविश्वास से अपनी तमाम चिंताओं के बाद भी।
क्यों?
क्योंकि मेरे सिर पर मेरे बाबा का हाथ है। जीवन आपका बाबा, यह शरीर भी सधेगा जैसे आपने अपना साधा था।
उन दिनों में जब सांसों पर बोझ बढता है और मैं अपनी हिम्मत हारने लगती हूँ! मुझे आप स्मरण हो आते हैं । और लगता है अभी तो बहुत कुछ करना है! और सबकुछ होगा भी क्योंकि मेरे पिता और उनकी संतानों में आपकी सच्ची उत्तराधिकारी तो मैं ही हूं। उन सब में आपने मेरा चयन किया।😊
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