⚫ मेरे मस्तिष्क में इतिहास की विसंगतियां चोट करती रहतीं हैं किन्तु दिल में आता है वर्जीनिया वुल्फ के जैसे एक छलांग लगाने की...
⚫ बाहर 'शंकर' की तरह धर्मध्वजा उठाए हुए हूँ तो घर में काफ्का की तरह एक कीड़े में बदल जाती हूँ…
⚫ घर से बाहर साहसी महिला हूँ लेकिन घर में ठीक उलट घबराई-डरी हुई...
⚫ कार्यस्थल पर गधों की तरह खटती हूँ जिसका कोई हासिल नहीं लेकिन घर पर इतनी आलसी कि कोई अवार्ड हो आलसियों का तो प्रथम तीन में कोई स्थान पा जाऊँ...
⚫ अपने- पराए सबके लिए अत्यंत क्रोधी/खड़ूस लेकिन मेरे कमरे में एक समंदर समानांतर बहता रहता है
⚫ राष्ट्रवादियों की आंखों में खटकती हूँ और वामपंथियों की नजर में घोर दक्षिणपंथी...
⚫ नास्तिकों के बीच अत्यंत धार्मिक और धार्मिकों के बीच तार्किक अनीश्वरवादी...
⚫ मित्रमंडली में बेफिक्र, अपने काम से काम रखने वाली लेकिन रात्रि के तिमिर में जीवन की अव्यवस्था पर विचार करती दार्शनिक...
⚫ दिन में बोझल आंखो को ढोती हुई और रात्रि में जागती आंखो से जीवन की यातना भोगते हुए...
⚫ चाहत यही कि अपने बच्चों के साथ रहूँ लेकिन उन्हें गृहत्यागी बनने का उपदेश देती हूँ...
⚫ एक ही समय में मनाती हुई कि कभी बिछुड़े को देख सकूँ और साथ ही यह भी कि अब उससे कभी सामना न हो...
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