दीदी...
क्या कहूं!कि जीवन एक बेहद बेहूदी किस्म की शै है,
जिसके पास रोग है,महामारी है,बुढापा है, दुर्घटनाएं हैं,मृत्यु है।
इसी जीवन में बिछड जाते हैं हम उससे,जिससे हम नींद में भी बिछड़ना नहीं चाहते,
और यह दुख,दुःखों की सूची में सबसे बड़ा हो जाता है,फिर भी जीना पडता है।
इन दिनों आप उदास होती हैं तो
आंखे जाने कितनों की लाल हो जाती हैं,
एक आपके रोने से बारिश आती है,
बनारस से बरेली होते हुए बेतिया तक,
और भीगते रहते हैं हमलोग,एक दूसरे के दुःखमें।
आजकल रात भर जागते हैं सभी,
दिन खिन्नता तो रातें अनमनी हुईं हैं
एक आपके करवटें बदलने से बेचैन हो जाते हैं सब,
जबकि हमे पता है अब इस तरह ही बीतेगा यह संतप्त जीवन।
फिर भी एक आपकी उदासी से पतझड़ टिक जाएगा बारहोमास के लिए।
सारा जीवन इस समय रुआंसा हुआ है आपकी तरह।
कैसे कहूं कि आप रोएंगी तो कहीं अम्मा भी छुप कर रोती होंगी और फिर-फिर ब्रेन हैमरेज का शिकार होती होंगी,
याद कीजिए कि एक बेटी के दुख ने किस तरह उन्हें तोड़ दिया था जीवन के उतार में!
कहीं बाबूजी से ये दुःख सहन नहीं हो रहा होगा तो उनके ह्रदय की धड़कनें बार-बार रुकती होंगी।
और कुछ नहीं तो ये ख्याल करिए,
कि जब-जब आपकी आंख से आँसू बहता होगा,
जीजाजी शोक में डूब जाते होंगे कि उनकी दुलारी बिटिया को अब कौन दुलारेगा!
उनके लाडले को कौन पुचकारेगा!
दिनरात की मेहनत से जोड़कर बनाए उनके घर को दुःख में डूबी आप भला कैसे संवारेगी!
सनातन तो कहता है आप दोनों का नाता तो जन्मों का है,
अग्नि बहुत पवित्र होती है,उसे साक्षी मानकर जोड़ गए नाते को मृत्यु भी नहीं तोड़ पाती।
तो शोक न करिए,शोक न करिए,
धीरज धरिये,धीरज धरिए।।
आप कहती हैं कि मैं बहुत बुद्धिमान हूं!तो मैंने तो यही समझा है कि,
जीवन मे सुख हाइकू जितना होता है और दुख उस ग्रंथ की तरह जो,कई-कई खंडो में लिखा होता है,
फिर भी ईश्वर से उपसंहार नहीं लिखा जाता,
ईश्वर की इस मूर्खता पर मुस्कराइए।।
और हिम्मत कीजिए कि जीवन के गहरे दुःख में भी डूबे हम,
होते हैं न जाने कितनों का हौसला।
जैसे आप हैं अपने बच्चों के लिए,परिवार के लिए,
जबकि आपका दुःख सबसे बड़ा है,ये सबको पता है,
फिर भी साहस बटोरिए,हिम्मत कीजिए।
और अपने हौसले से अपने दुःख को मात दीजिए।।
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