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Showing posts from April, 2023

दर्शन और साहित्य का सम्बंध और निर्मल वर्मा

  निर्मल को पढ़ते समय दर्शन में बुद्धिवादियों की देह-मन की समस्या सुलझती हुई दिखती है।इतनी कोमल भाषा कि देह की जड़ता गल जाती है और मन,देह का सारा पानी सोखकर नम हो जाता है।        तब जड़ और चेतन,मन और शरीर की समस्या जो इतनी गहरा गई थी पाश्चात्य चिंतन में कि डेकार्ट को द्रव्य का द्वैत स्वीकारना पड़ा और स्पिनोज़ा को गुणों का द्वैत जबकि उनकी दर्शन प्रतिध्वनि है अद्वैत की,यह एक समस्या इस प्रतिध्वनि को थोड़ा कर्कश बना देती है।और लाइबनित्ज़ को जिन्होंने सबकुछ चेतन माना और स्वतंत्र माना,उसे भी इस द्वैत को सुलझाने के लिए असंगत कल्पना करनी पड़ती है और ईश्वर को परम चिद्णु कहकर चिद्णुओं की स्वतंत्रता ही छीन लेते हैं।किंतु निर्मल इस द्वैत को झट से सुलझा देते हैं और दोनों के द्वैत के अहम को गला देता है।                    निर्मल बहुत सूक्ष्म और गम्भीर बातें कहते हैं बहुत ही नाजुकता से।ऐसा लगता है कि दर्शन के,जीवन के गूढ़ रहस्यों का रेशा-रेशा खोलते हैं।किंतु इतनी मसृण भाषा में कि समझने के लिए रूकना ठहरना पड़ेगा इसदौड़ती-भागती जिंदगी में।   किंतु इसमें रिस्क भी है कि जिन वेदनाओं को मन के गहन अंधेरे हि

रांझणा...

  एक फिल्म बनाने की इच्छा है रांझणा जैसी!जिसके माध्यम से मुझे बस यही बताना है कि कुंदन हो कि जोया दोनों अतिवादी चरित्र वाले हैं!मैं अपनी इस मान्यता के लिए जब इस दुनिया में तथ्यों को देखती हूँ तो मुझे यही दोनों चरित्र वाले दिखते हैं! मैंने प्रेम में लोगों को मरते देखा है,घर बार छोड़ते देखा है,पागल होते देखा है,यहाँ तक कि साधु बने भी देखा है,गहरी दोस्ती को किसी के प्रेम में पड़ पीठ में छूरा खाते सुना है,किसी पहाड़ी से धकेल दिया जाना सुना है। पीछे घरवालों को इस अपशकुन का साया जीवनभर घेरे हुए रखना देखा है।इसलिए प्रेम करना बुरा नहीं है,बुरा है प्रेम में कुंदन बन जाना!सब बनना,लेकिन कुंदन नहीं बनना है!जबकि एक दोस्त हो,एक प्रेमिका हो,बनारस जैसा शहर हो,तब तो बिलकुल भी कुंदन बनकर दम तोड़ना गंवारा नहीं करना है।  मुझे यह भी बताना है कि दुनिया मुरारियों से रिक्त है और मुरारी जैसों की जगह कोई नहीं ले सकता!क्या किया जा सकता है जो इस निष्ठुर प्रपंच संसार में कोई मुरारी जो नहीं मिलता!मिलते हैं तो...।यहाँ खाली स्थान भरने के लिए मुझे मालूम है अनेकों नाम होंगे।इसलिए हम सबको अपने-अपने जीवन का मुरारी स्वयं