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Showing posts from January, 2023

पीत-नील वर्ण

  मेरी पसंद में सदैव से मौजूं था पीत रंग!  रंगों में जो कृष्ण था! कोई रंग ऐसा भी नहीं था,जो नापसंद हो मुझे! दरअसल मैंने अन्य रंगों की उपस्थिति पर विचार नहीं किया कभी!  मेरे संदर्भ में रंग का तात्पर्य था उससे उपजा आत्मविश्वास! उससे पनपा प्रेम!  उससे बिखरी जग में करूणा! मैं पसंद करती थी उसे,  जिसे पसंद था पीला रंग! धीरे धीरे उसके सारे पसंद मेरे पसंद बनते गए! फिर उसके-मेरे पसंद में द्वैत नहीं रह गया! मेरे लिए सूर्य पीला हो गया, पीला चाय का रंग, मेरी नजरों में पृथ्वी- पेड़- पहाड़ सब पीले हो गए! मैंने सब रंगों से दुश्मनी कर ली, मेरे लिए सर्वत्र बस पीले रंग का एकछत्र राज्य था! किंतु एक दिन!काल का चक्र घूमा और एक धोखे का धूमकेतु आ लगा मेरी पीठ पर! पसंद में अब भी द्वैत था किंतु पसंद करने वाले द्वैती हो गए! जाते हुए कहा उसने -'अपना ध्यान रखना'! मुझे इस वाक्य में नीलापन नजर आया! लम्बे समय बाद मुझे होश आया!  अब मुझे दुनिया के तमाम चीजों में नीला रंग आया! वही नील जो चोट लगने पर उभर आता है, मेरे लिए सूर्य नीला हो गया, नीला चाय का रंग औ!  मेरी नजरों में पृथ्वी-पेड़-पहाड़ सब नीले हो गए! दिसम्